कैसे रुकेगा धर्म परिवर्तन ?

आगरा के वेदनगर में धर्मांतरण का मुद्दा अभी शांति भी नहीं हुआ था कि कुशीनगर में सत्ताइस हिंदू परिवारों ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया..यह घटना कपटहेरवा थाना क्षेत्र के गंगुआ गांव की है. चौदह दिसंबर को इन लोगों को ईशु की पूजा करते हुए देखा गया..यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब देश का एक राष्ट्रवादी धड़ा हिंदुओं का ‘घर वापसी’ कार्यक्रम आयोजित कर रहा है.. आरोप है धर्मांतरण के लिए लोगों को गांव के ही दिलीप गुप्ता ने प्रेरित किया ..जानकारी होने पर बीजेपी सांसद के दर्जनभर समर्थक गांव पहुंचे, लेकिन इसकी जानकारी पहले ही मिल जाने के कारण सभी 27 लोग वहां से गायब हो गए..अब ईसाई बने लोगों को फिर से हिंदू बनाने की तैयारी चल रही है..

अब सवाल उठता है लोग धर्मांतरण स्वेच्छा से स्वीकार कर रहे हैं या फिर जबरन करवाया जा रहा है…धर्म परिवर्तन कराने वाले और धर्मांतरण करने वालो के मकशद को सबसे पहले समझना होगा.. लोग किसी के बहकाए में ना आयें इसके लिए सरकार को कुछ करना होगा..अगर भविष्य में धर्मांतरण जैसी राजनातिक बीमारी से दूर रहना है तो..मै बार-बार सोचना हूं आखिर संसद में कई दिनों से इस मुद्दे पर हंगामा क्यों कर रहे हैं..जब इसी मामले पर लोकसभा में बहस भी हो गई..अलग-अलग दलों के लोग अपने विचार भी रख दिए तो आखिर क्यों राज्यसभा की कार्यवाही बाधित कर जनता के पैसे को पानी की तरह बहाया जा रहा है..देश के उच्च सदन के सदस्यों से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती ..
धर्मांतरण के मुद्दे को संसद और सड़क पर हंगामा करने वाले कई राजनीतिक दल अपने आपको कुछ जाति-धर्म के समुदाय का रॉबिनहुड समझ रहे हैं..मैं किसी दल या धर्म से संबंधित लोगों का कोई पक्ष नहीं ले रहा हूं लेकिन इतना जरुर कह सकता हूं अगर ऐसे राजनीतिक दलों का इतिहास जनता देखेगी तो उसे खुद समझ में आ जाएगा कौन उसका सबसे बड़ा हमदर्द है..जाति-धर्म के नाम पर धार्मिक उन्माद फैलाने वालों को कतई बर्दास्त नहीं किया जा सकता..चाहे कोई राजनीतिक दल हो या फिर धार्मिक और सामाजिक संगठन..धर्म के नाम पर लोगों को लड़ाने वाले किसी के भी ना तो हुए हैं और ना होंगे..चाहे वह तथाकथित पार्टी हो या उससे समर्थित लोगों की सरकार रही हो..

मैं इस बात में विश्वास करता हूं किसी से कोई काम जबरदस्ती नहीं करवाया जा सकता..यहां तक कि कोई सही काम भी जबरन नहीं करवाया जा सकता.. अगर किसी के पास कोई सूत्रधार ना हो तो वह अपना-अपना सूत्र पकड़कर चले..मैं इस बात में विश्वास करता हूं…अगर बंदूक की नोंक पर भी कोई काम करवाना चाहे भी तो धर्म परिवर्तन जैसे संवेदनशील मामले में उसे निराशा ही मिलेगी..क्योंकि किसी इनसान के बाद कोई भी कट्टरवादी लोग ज्यादा समय तक टिक नहीं सकते..और ना ही अधिक दिन तक अमल करवा सकते हैं..तो फिर कैसे मान लिया जाए कि लोगों को जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है..लोग कैसे भगवान ईशु, राम और खुदा की प्रार्थना के लिए तैयार हो जाएंगे..इस बात को गंभीरतापूर्वक सोचने की जरुरत है..हलांकि मैं किसी को बलपूर्वक किसी काम के लिए बाध्य करने को अपराध मानता हूं और ऐसा होना भी चाहिए..

संसद में हंगामा करना वाले लोग ये नहीं बता रहा हैं कि आखिर कितने पीड़ित लोग पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई..जिस पार्टी की राज्य में सरकार है वह भी अगर शोर मचाये तो आप क्या कहेंगे..लोगों को राजनीति से उठकर धार्मिक उन्माद फैलाने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए..अगर कहीं जबरन धर्म परिवर्तन या घर वापसी जैसे काम हो रहे हैं..अगर लोग अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर रहे हैं तो किसी को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए..अगर तकलीफ ही होनी है तो उसकी बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षिता पर दुख जताना चाहिए..और अगर मदद करनी ही है तो उसके परिवार को जो भी संभव हो सहायता करनी चाहिए..
धर्मांतरण पर शोर करने वाले लोगों के बारे में अगर आप जानेंगे तो आप भी यही बात कहेंगे जो हम कह रहे हैं..हंगामा करने वाले लोग शायद ही अभी तक पीड़ित परिवारों की कोई मदद किये होंगे..मुलाकात तो दूर गरीब, असहाय लोगों की आवाज भी सत्ताधारी लोगों के पास नहीं पहुंच पाती..सरकार को ऐसे लोगों को किसी धर्म से फिर से ना जुड़ना पड़े उसका उपाय भी करना चाहिए..देश के अलग-अलग हिस्सों में पहले भी धर्म परिवर्तन हुए और आज भी हो रहे हैं..अंतर इतना है कि कहीं सत्ता बदल गई तो कहीं किसी के पास शोर मचाने के लिए कोई मुद्दा ही नहीं है जिसकी वजह से इतना शोर-शराबा हो रहा है..मैं मानता हूं किसी गलत काम को रोकने के लिए कठोर कानून की जरुरत होती है.. लेकिन सवाल उठता है इसकी एकाएक इतनी जरुरत क्यों महसूस होने लगी..आखिर धर्मांतरण के विरोध करने वालों की कभी न कभी राज्यों या केंद्र में सरकार रही है..जनता को सोचना चाहिए..सियासत करने वाले लोग उसके और उसकी भावनाओं के साथ किस कदर खेल रहे हैं..लोगों को अभास भी नहीं हो रहा है और धार्मिक भावनाएं आहत भी हो रही है..मैं इन शब्दों को इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि कुछ लोगों का कहना है कि लोग स्वेच्छा से घर वापसी कर रहे हैं..तो कुछ का कहना है कि तथाकथित लोगों के साथ अन्याय हो रहा है..इसे रोकना बेहद जरुरी है..

यह मुद्दा सिर्फ आगरा, अलीगढ़, कुशीनगर, देवरिया और रायबरेली तक शीमित नहीं है..इसका असर पूरे देश पर पड़ा रहा है..देश में लगभग सभी धर्मों में कुछ धर्म के ठेकेदार हैं जो मौका मिलते ही संप्रदायिक सद्भाव विगाड़ सकते हैं..अगर कोई अनहोनी घटना घटी तो इसमें ज्यादातर मासूम और बेकसूर लोगों की जान जाती है..ऐसा इतिहास गवाह है..देश में कोई तनाव पैदा ना हो इसका सबको ध्यान देना होगा..सबसे ज्यादा जिम्मेदारी नेता और धार्मिक संगठनों की है जो लोगों का किसी न किसी तरीके से नेतृत्व करते हैं..

आये दिन राजनीतिक दलों और धार्मिक संगठनों के कुछ लोग धर्मांतरण के मामले पर जहरीले बयान दे रहे हैं..कुछ लोग फर्जी हवा बनाने में लगे हैं तो कुछ अपनी पुरानी पराकाष्ठा को पाने के लिए उलूल-जुलूल बयानों की बौछार कर रहे हैं..सरकार को ऐसे लोगों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए क्योंकि माहौल खराब की शुरुआत यहीं से शुरु होती है..फिर उपद्रवी लोग मानवता का नंगा नाचने के लिए शरारत करना शुरु कर देते हैं..और शुरु हो जाता है.. धर्मांतरण रोकने के लिए सबसे जरुरी है कि उसके कारणों को ढूढ़ा जाए और उसका हल निकाला जाए..नहीं तो ऐसे धर्म परिवर्तन होते रहेंगे और लोग राजनीतिक रोटियां सेंकते रहेंगे..मासूम, बेरोजगार और अनपढ़ लोग हमेशा परेशान होते रहेंगे..इस बात की कोई गारंटी नहीं है अगर कोई कानून भी बन जाए तो धर्मांतरण पर रोक सकेगी..इसका इतिहास गवाह है..

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